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सोमवार, 27 मार्च 2023

"हिंदी कहानियाँ ! बड़ा बनने के लिए बड़ा सोचो" 10 हिंदी कहानियाँ moral stories in hindi

अत्यंत गरीब परिवार का एक बेरोजगार युवक नौकरी की तलाश में किसी दूसरे शहर जाने के लिए रेलगाड़ी से सफ़र कर रहा था | घर में कभी-कभार ही सब्जी बनती थी, इसलिए उसने रास्ते में खाने के लिए सिर्फ रोटीयां ही रखी थी |

आधा रास्ता गुजर जाने के बाद उसे भूख लगने लगी, और वह टिफिन में से रोटीयां निकाल कर खाने लगा | उसके खाने का तरीका कुछ अजीब था , वह रोटी का एक टुकड़ा लेता और उसे टिफिन के अन्दर कुछ ऐसे डालता मानो रोटी के साथ कुछ और भी खा रहा हो, जबकि उसके पास तो सिर्फ रोटीयां थीं!! उसकी इस हरकत को आस पास के और दूसरे यात्री देख कर हैरान हो रहे थे | वह युवक हर बार रोटी का एक टुकड़ा लेता और झूठमूठ का टिफिन में डालता और खाता | सभी सोच रहे थे कि आखिर वह युवक ऐसा क्यों कर रहा था | आखिरकार एक व्यक्ति से रहा नहीं गया और उसने उससे पूछ ही लिया की भैया तुम ऐसा क्यों कर रहे हो, तुम्हारे पास सब्जी तो है ही नहीं फिर रोटी के टुकड़े को हर बार खाली टिफिन में डालकर ऐसे खा रहे हो मानो उसमे सब्जी हो |

तब उस युवक ने जवाब दिया, “भैया , इस खाली ढक्कन में सब्जी नहीं है लेकिन मै अपने मन में यह सोच कर खा रहा हू की इसमें बहुत सारा आचार है, मै आचार के साथ रोटी खा रहा हू |”

 फिर व्यक्ति ने पूछा , “खाली ढक्कन में आचार सोच कर सूखी रोटी को खा रहे हो तो क्या तुम्हे आचार का स्वाद आ रहा है ?”

“हाँ, बिलकुल आ रहा है , मै रोटी के साथ अचार सोचकर खा रहा हूँ और मुझे बहुत अच्छा भी लग रहा है |”, युवक ने जवाब दिया|

 उसके इस बात को आसपास के यात्रियों ने भी सुना, और उन्ही में से एक व्यक्ति बोला , “जब सोचना ही था तो तुम आचार की जगह पर मटर-पनीर सोचते, शाही गोभी सोचते….तुम्हे इनका स्वाद मिल जाता | तुम्हारे कहने के मुताबिक तुमने आचार सोचा तो आचार का स्वाद आया तो और स्वादिष्ट चीजों के बारे में सोचते तो उनका स्वाद आता | सोचना ही था तो भला छोटा क्यों सोचे तुम्हे तो बड़ा सोचना चाहिए था |”

मित्रो इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है की जैसा सोचोगे वैसा पाओगे | छोटी सोच होगी तो छोटा मिलेगा, बड़ी सोच होगी तो बड़ा मिलेगा | इसलिए जीवन में हमेशा बड़ा सोचो | बड़े सपने देखो , तो हमेश बड़ा ही पाओगे | छोटी सोच में भी उतनी ही उर्जा और समय खपत होगी जितनी बड़ी सोच में, इसलिए जब सोचना ही है तो हमेशा बड़ा ही सोचो|

"हिंदी कहानियाँ ! हाथी और छह अंधे व्यक्ति " 10 हिंदी कहानियाँ moral stories in hindi

बहुत समय पहले की बात है , किसी गावं में 6 अंधे आदमी रहते थे. एक दिन गाँव वालों ने उन्हें बताया , ” अरे , आज गावँ में हाथी आया है.” उन्होंने आज तक बस हाथियों के बारे में सुना था पर कभी छू कर महसूस नहीं किया था. उन्होंने ने निश्चय किया, ” भले ही हम हाथी को देख नहीं सकते , पर आज हम सब चल कर उसे महसूस तो कर सकते हैं ना?” और फिर वो सब उस जगह की तरफ बढ़ चले जहाँ हाथी आया हुआ था.
सभी ने हाथी को छूना शुरू किया.

” मैं समझ गया, हाथी एक खम्भे की तरह होता है”, पहले व्यक्ति ने हाथी का पैर छूते हुए कहा.

“अरे नहीं, हाथी तो रस्सी की तरह होता है.” दूसरे व्यक्ति ने पूँछ पकड़ते हुए कहा.

“मैं बताता हूँ, ये तो पेड़ के तने की तरह है.”, तीसरे व्यक्ति ने सूंढ़ पकड़ते हुए कहा.

” तुम लोग क्या बात कर रहे हो, हाथी एक बड़े हाथ के पंखे की तरह होता है.” , चौथे व्यक्ति ने कान छूते हुए सभी को समझाया.

“नहीं-नहीं , ये तो एक दीवार की तरह है.”, पांचवे व्यक्ति ने पेट पर हाथ रखते हुए कहा.

” ऐसा नहीं है , हाथी तो एक कठोर नली की तरह होता है.”, छठे व्यक्ति ने अपनी बात रखी.

और फिर सभी आपस में बहस करने लगे और खुद को सही साबित करने में लग गए.. ..उनकी बहस तेज होती गयी और ऐसा लगने लगा मानो वो आपस में लड़ ही पड़ेंगे.

तभी वहां से एक बुद्धिमान व्यक्ति गुजर रहा था. वह रुका और उनसे पूछा,” क्या बात है तुम सब आपस में झगड़ क्यों रहे हो?”

” हम यह नहीं तय कर पा रहे हैं कि आखिर हाथी दीखता कैसा है.” , उन्होंने ने उत्तर दिया.

और फिर बारी बारी से उन्होंने अपनी बात उस व्यक्ति को समझाई.

बुद्धिमान व्यक्ति ने सभी की बात शांति से सुनी और बोला ,” तुम सब अपनी-अपनी जगह सही हो. तुम्हारे वर्णन में अंतर इसलिए है क्योंकि तुम सबने हाथी के अलग-अलग भाग छुए

हैं, पर देखा जाए तो तुम लोगो ने जो कुछ भी बताया वो सभी बाते हाथी के वर्णन के लिए सही बैठती हैं.”

” अच्छा !! ऐसा है.” सभी ने एक साथ उत्तर दिया . उसके बाद कोई विवाद नहीं हुआ ,और सभी खुश हो गए कि वो सभी सच कह रहे थे.

दोस्तों, कई बार ऐसा होता है कि हम अपनी बात को लेकर अड़ जाते हैं कि हम ही सही हैं और बाकी सब गलत है. लेकिन यह संभव है कि हमें सिक्के का एक ही पहलु दिख रहा हो और उसके आलावा भी कुछ ऐसे तथ्य हों जो सही हों. इसलिए हमें अपनी बात तो रखनी चाहिए पर दूसरों की बात भी सब्र से सुननी चाहिए , और कभी भी बेकार की बहस में नहीं पड़ना चाहिए. वेदों में भी कहा गया है कि एक सत्य को कई तरीके से बताया जा सकता है. तो , जब अगली बार आप ऐसी किसी बहस में पड़ें तो याद कर लीजियेगा कि कहीं ऐसा तो नहीं कि आपके हाथ में सिर्फ पूँछ है और बाकी हिस्से किसी और के पास हैं. 🙂

"हिंदी कहानियाँ ! सफलता का रहस्य " 10 हिंदी कहानियाँ moral stories in hindi

एक बार एक नौजवान लड़के ने सुकरात से पूछा कि सफलता का रहस्य क्या है?

सुकरात ने उस लड़के से कहा कि तुम कल मुझे नदी के किनारे मिलो. वो मिले. फिर सुकरात ने नौजवान से उनके साथ नदी की तरफ बढ़ने को कहा.और जब आगे बढ़ते-बढ़ते पानी गले तक पहुँच गया, तभी अचानक सुकरात ने उस लड़के का सर पकड़ के पानी में डुबो दिया.

लड़का बाहर निकलने के लिए संघर्ष करने लगा , लेकिन सुकरात ताकतवर थे और उसे तब तक डुबोये रखे जब तक की वो नीला नहीं पड़ने लगा. फिर सुकरात ने उसका सर पानी से बाहर निकाल दिया और बाहर निकलते ही जो चीज उस लड़के ने सबसे पहले की वो थी हाँफते-हाँफते तेजी से सांस लेना.

सुकरात ने पूछा ,” जब तुम वहाँ थे तो तुम सबसे ज्यादा क्या चाहते थे?”

लड़के ने उत्तर दिया,”सांस लेना”

सुकरात ने कहा,” यही सफलता का रहस्य है. जब तुम सफलता को उतनी ही बुरी तरह से चाहोगे जितना की तुम सांस लेना चाहते थे तो वो तुम्हे मिल जाएगी” इसके आलावा और कोई रहस्य नहीं है.

दोस्तों, जब आप सिर्फ और सिर्फ एक चीज चाहते हैं तो more often than not…वो चीज आपको मिल जाती है. जैसे छोटे बच्चों को देख लीजिये वे न past में जीते हैं न future में, वे हमेशा present में जीते हैं…और जब उन्हें खेलने के लिए कोई खिलौना चाहिए होता है या खाने के लिए कोई टॉफ़ी चाहिए होती है…तो उनका पूरा ध्यान, उनकी पूरी शक्ति बस उसी एक चीज को पाने में लग जाती है and as a result वे उस चीज को पा लेते हैं.

इसलिए सफलता पाने के लिए FOCUS बहुत ज़रूरी है, सफलता को पाने की जो चाहता है उसमे intensity होना बहुत ज़रूरी है..और जब आप वो फोकस और वो इंटेंसिटी पा लेते हैं तो सफलता आपको मिल ही जाती है.

"हिंदी कहानियाँ ! विश्वास की शक्ति कहानी " 10 हिंदी कहानियाँ moral stories in hindi

रिंकू के जीवन की कहानी कुछ यूं है. स्कूल की पढाई के दौरान रिंकू अपने परिवार के साथ एक छोटे से शहर में रहता था. पढाई-लिखाई में इसका मन नहीं लगता था. अपनी कक्षा में ये हमेशा ही फिसड्डी रहता था. मुश्किल से किसी तरह पास होकर अगली कक्षा में पहुँचता था. स्कूल के बच्चों से लेकर मोहल्ले तक लोग रिंकू का मजाक उड़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ते थे. रिंकू की पढाई में कमजोरी से उनके माता-पिता भी दुखी रहते थे. पढाई में पिछड़ने का दुःख तो रिंकू को भी होता था, परन्तु कोशिश करने पर भी पढाई में उसका मन नहीं लगता था.

हर तरफ से उपेक्षा और तिरस्कार से दुखी होकर अंततः रिंकू ने पढाई छोड़ने का मन बना लिया. अभी वह दसवीं कक्षा में था. उसकी पढाई की जो स्थिति थी उससे बोर्ड की परीक्षा में उसे पास करने की उम्मीद लगभग न के बराबर थी. अपने जीवन से निराश रिंकू एक दिन जब स्कूल से घर लौट रहा था तो रास्ते में एक जगह रामायण की कथा हो रही थी. उस समय ओजस्वी स्वर में कथावाचक लंका कांड की व्याख्या कर रहे थे. कथावाचक के ओजस्वी स्वर से बुरे ख्यालों में खोये रिंकू की तंद्रा भंग हुई. और वह सम्मोहित होकर कथा स्थल की ओर चल पड़ा. कथा स्थल पर पहुंचकर वह जगह बनाते हुए आगे की पंक्ति में जा बैठा. रिंकू को देखकर कथावाचक मुस्कराए और अपनी कथा को जारी रखा. रिंकू एकाग्रता से कथा के एक-एक शब्द को सुन रहा था. इस समय कथावाचक कह रहे थे, “समस्या बड़ी गंभीर थी. सागर तट पर भगवान राम की सेना के सभी योद्धा लक्ष्मण, हनुमान, सुग्रीव, अंगद आदि गंभीर सोच में डूबे थे. जटायु से यह तो पता लग गया था कि रावण सीता को लेकर दक्षिण दिशा में उफनते समुद्र के पार स्थित अपने राज्य लंका में गया है, परन्तु इस विशाल समुद्र को लांघकर लंका जाएगा कौन? समस्या विकट थी. तभी वहां की शांति सुग्रीव के आवाज़ से भंग हुई. सुग्रीव ने प्रभु राम से कहा कि हमारे बीच एक ऐसे दिव्य शक्ति हैं जो समुद्र लांघकर लंका जा सकती हैं. तब भगवान राम की जिज्ञासा को शांत करने के लिए सुग्रीव ने महाबली हनुमान की ओर देखा. सुग्रीव के संकेत से हनुमान जी सकपका गए. हनुमान जी की असमंजसता को भांपते हुए सुग्रीव ने कहा – हे पवनपुत्र ! संभवतः आपको अपनी शक्ति का ज्ञान नहीं है. बचपन में आपने सूर्य को एक फल समझते हुए एक छलांग में उसे सैकड़ों कोस दूर जाकर निगल लिया था तो फिर लंका की दूरी ही क्या है? जरूरत है तो सिर्फ आपको अपने विश्वास को जगाने की. आप जब अपने विश्वास को जगा लेंगे और मन में ठान लेंगे तो शक्ति आपमें स्वतः आ जाएगी. सुग्रीव की बात सुनकर एक तरफ जहाँ हनुमान जी को आश्चर्य हुआ वहीँ उनका विश्वास भी जागा और वे समुद्र लांघने को तैयार हो गए. अगले ही दिन उन्होंने पूर्ण विश्वास के साथ समुद्र लांघते हुए लंका की ओर प्रस्थान किया. रास्ते में मुश्किलें तो बहुत आईं फिर भी वे सभी मुश्किलों को परास्त करते हुए लंका में माँ सीता को ढूंढने में सफल हुए.”

वहां कथावाचक के एक-एक शब्द को मंत्रमुग्ध होकर सुन रहे रिंकू का नया जन्म हो चुका था. कुछ समय पहले तक जिस रिंकू की आँखों से निराशा के भाव झलक रहे थे, अब उसकी आँखों में चमक थी. उसके शरीर में उत्साह और स्फूर्ति का संचार होने लगा था. कथा ख़त्म होने के साथ ही वह तेजी से घर की ओर चल पड़ा. उसे सफलता का मूलमंत्र मिल चुका था. वह मन ही मन सोच रहा था कि जब हनुमान जी ने अपने विश्वास से शक्ति अर्जित कर समुद्र को लांघ लिया था, तो पढाई कौन सी बड़ी बाधा है. उसी दिन से रिंकू ने प्रण कर लिया कि वह ध्यान लगा कर खूब पढ़ेगा और सफलता अवश्य प्राप्त करेगा. उसकी मेहनत रंग लाई. अपनी कक्षा में सबसे फिसड्डी रहने वाला छात्र रिंकू दसवीं की बोर्ड परीक्षा में सबसे अव्वल आया. इसके बाद रिंकू ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और जिंदगी में हमेशा अव्वल ही आता रहा. वह लोक सेवा की परीक्षा में भी प्रथम स्थान पर आया और अपने आप पर विश्वास की बदौलत वह सरकारी महकमे में भी पदोन्नति पाते हुए ऊँचे ओहदे तक पहुंच गया.

कहानी से शिक्षा (Moral of the story)
विश्वास की शक्ति को साबित करने के लिए रिंकू का जीवन तो बस एक उदाहरण है. हरेक सफल व्यक्तित्व के पीछे उस व्यक्ति का विश्वास और कुछ कर गुजरने के जज्बे का मुख्य योगदान होता है. जब किसी व्यक्ति में विश्वास का संचार होता है तो उसमें शक्ति अपने आप संचारित होने लगती है. फिर जब तन और मन में शक्ति यानि उर्जा का संचार होता है तो मुश्किल काम भी आसान हो जाता है. यही तो जीवन में सफलता का मूल मंत्र है.

रविवार, 26 मार्च 2023

Moral Stories in Hindi – मेहनत का फल

एक गांव में दो मित्र नकुल और सोहन रहते थे। नकुल बहुत धार्मिक था और भगवान को बहुत मानता था। जबकि सोहन बहुत मेहनती थी। एक बार दोनों ने मिलकर एक बीघा जमीन खरीदी। जिससे वह बहुत फ़सल ऊगा कर अपना घर बनाना चाहते थे।

सोहन तो खेत में बहुत मेहनत करता लेकिन नकुल कुछ काम नहीं करता बल्कि मंदिर में जाकर भगवान से अच्छी फसल के लिए प्रार्थना करता था। इसी तरह समय बीतता गया। कुछ समय बाद खेत की फसल पक कर तैयार हो गयी।

जिसको दोनों ने बाजार ले जाकर बेच दिया और उनको अच्छा पैसा मिला। घर आकर सोहन ने नकुल को कहा की इस धन का ज्यादा हिस्सा मुझे मिलेगा क्योंकि मैंने खेत में ज्यादा मेहनत की है।

यह बात सुनकर नकुल बोला नहीं धन का तुमसे ज्यादा हिस्सा मुझे मिलना चाहिए क्योकि मैंने भगवान से इसकी प्रार्थना की तभी हमको अच्छी फ़सल हुई। भगवान के बिना कुछ संभव नहीं है। जब वह दोनों इस बात को आपस में नहीं सुलझा सके तो धन के बॅटवारे के लिए दोनों गांव के मुखिया के पास पहुंचे।

मुखिया ने दोनों की सारी बात सुनकर उन दोनों को एक – एक बोरा चावल का दिया जिसमें कंकड़ मिले हुए थे। मुखिया ने कहा की कल सुबह तक तुम दोनों को इसमें से चावल और कंकड़ अलग करके लाने है तब में निर्णय करूँगा की इस धन का ज्यादा हिस्सा किसको मिलना चाहिए।

दोनों चावल की बोरी लेकर अपने घर चले गए। सोहन ने रात भर जागकर चावल और कंकड़ को अलग किया। लेकिन नकुल चावल की बोरी को लेकर मंदिर में गया और भगवान से चावल में से कंकड़ अलग करने की प्रार्थना की।

अगले दिन सुबह सोहन जितने चावल और कंकड़ अलग कर सका उसको ले जाकर मुखिया के पास गया। जिसे देखकर मुखिया खुश हुआ। नकुल वैसी की वैसी बोरी को ले जाकर मुखिया के पास गया।

मुखिया ने नकुल को कहा की दिखाओ तुमने कितने चावल साफ़ किये है। नकुल ने कहा की मुझे भगवान पर पूरा भरोसा है की सारे चावल साफ़ हो गए होंगे। जब बोरी को खोला गया तो चावल और कंकड़ वैसे के वैसे ही थे।

जमींदार ने नकुल को कहा की भगवान भी तभी सहायता करते है जब तुम मेहनत करते हो। जमींदार ने धन का ज्यादा हिस्सा सोहन को दिया। इसके बाद नकुल भी सोहन की तरह खेत में मेहनत करने लगा और अबकी बार उनकी फ़सल पहले से भी अच्छी हुई।

Moral of the story:
सीख: इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है की हमें कभी भी भगवान के भरोसे नहीं बैठना चाहिए। हमें सफलता प्राप्त करने के लिए मेहनत करनी चाहिए।

Moral Stories in Hindi – खजाने की खोज

एक गांव में एक रामलाल नाम का एक किसान अपनी पत्नी और चार लड़को के साथ रहता था। रामलाल खेतों में मेहनत करके अपने परिवार का पेट पालता था। लेकिन उसके चारो लड़के आलसी थे।

जो गांव में वैसे ही इधर उधर घूमते रहते थे। एक दिन रामलाल ने अपनी पत्नी से कहा की अभी तो मै खेतों में काम कर रहा हूँ। लेकिन मेरे बाद इन लड़को का क्या होगा। इन्होने तो कभी मेहनत भी नहीं करी। ये तो कभी खेत में भी नहीं गए।

रामलाल की पत्नी ने कहा की धीरे धीरे ये भी काम करने लगेंगे। समय बीतता गया और रामलाल के लड़के कोई काम नहीं करते थे। एक बार रामलाल बहुत बीमार पड़ गया। वह काफी दिनों तक बीमार ही रहा।

उसने अपनी पत्नी को कहा की वह चारों लड़को को बुला कर लाये। उसकी पत्नी चारों लड़को को बुलाकर लायी। रामलाल ने कहा लगता है की अब मै ज्यादा दिनों तक जिन्दा नहीं रहूँगा। रामलाल को चिंता थी की उसके जाने के बाद उसके बेटों का क्या होगा।

इसलिए उसने कहा बेटों मैने अपने जीवन में जो भी कुछ कमाया है वह खजाना अपने खेतों के निचे दबा रखा है। मेरे बाद तुम उसमे से खजाना निकालकर आपस में बाँट लेना। यह बात सुनकर चारों लड़के खुश हो गए।

कुछ समय बाद रामलाल की मृत्यु हो गयी। रामलाल की मृत्यु के कुछ दिनों बाद उसके लड़के खेत में दबा खजाना निकालने गए। उन्होंने सुबह से लेकर शाम तक सारा खेत खोद दिया। लेकिन उनको कोई भी खजाना नज़र नहीं आया।

लड़के घर आकर अपनी माँ से बोले माँ पिताजी ने हमसे झूठ बोला था। उस खेत में हमें कोई खजाना नहीं मिला। उसकी माँ ने बताया की तुम्हारे पिताजी ने जीवन में यही घर और खेत ही कमाया है। लेकिन अब तुमने खेत खोद ही दिया है तो उसमे बीज बो दो।

इसके बाद लड़को ने बीज बोये और माँ के कहेनुसार उसमे पानी देते गए। कुछ समय बाद फसल पक कर तैयार हो गयी। जिसको बेचकर लड़कों को अच्छा मुनाफा हुआ। जिसे लेकर वह अपनी माँ के पास पहुंचे। माँ ने कहा की तुम्हारी मेहनत ही असली खजाना है यही तुम्हारे पिताजी तुमको समझाना चाहते थे।

Moral of the Story
सीख: हमें आलस्य को त्यागकर मेहनत करना चाहिए। मेहनत ही इंसान की असली दौलत है।

Moral Stories in Hindi – डरपोक पत्थर

बहुत पहले की बात है एक शिल्पकार मूर्ति बनाने के लिए जंगल में पत्थर ढूंढने गया। वहाँ उसको एक बहुत ही अच्छा पत्थर मिल गया। जिसको देखकर वह बहुत खुश हुआ और कहा यह मूर्ति बनाने के लिए बहुत ही सही है।

जब वह आ रहा था तो उसको एक और पत्थर मिला उसने उस पत्थर को भी अपने साथ ले लिया। घर जाकर उसने पत्थर को उठा कर अपने औजारों से उस पर कारीगरी करनी शुरू कर दिया।

औजारों की चोट जब पत्थर पर हुई तो वह पत्थर बोलने लगा की मुझको छोड़ दो इससे मुझे बहुत दर्द हो रहा है। अगर तुम मुझ पर चोट करोगे तो मै बिखर कर अलग हो जाऊंगा। तुम किसी और पत्थर पर मूर्ति बना लो।

पत्थर की बात सुनकर शिल्पकार को दया आ गयी। उसने पत्थर को छोड़ दिया और दूसरे पत्थर को लेकर मूर्ति बनाने लगा। वह पत्थर कुछ नहीं बोला। कुछ समय में शिल्पकार ने उस पत्थर से बहुत अच्छी भगवान की मूर्ति बना दी।

गांव के लोग मूर्ति बनने के बाद उसको लेने आये। उनने सोचा की हमें नारियल फोड़ने के लिए एक और पत्थर की जरुरत होगी। उन्होंने वहाँ रखे पहले पत्थर को भी अपने साथ ले लिया। मूर्ति को ले जाकर उन्होंने मंदिर में सजा दिया और उसके सामने उसी पत्थर को रख दिया।

अब जब भी कोई व्यक्ति मंदिर में दर्शन करने आता तो मूर्ति को फूलों से पूजा करता, दूध से स्नान कराता और उस पत्थर पर नारियल फोड़ता था। जब लोग उस पत्थर पर नारियल फोड़ते तो बहुत परेशान होता।

उसको दर्द होता और वह चिल्लाता लेकिन कोई उसकी सुनने वाला नहीं था । उस पत्थर ने मूर्ति बने पत्थर से बात करी और कहा की तुम तो बड़े मजे से हो लोग तो तुम्हारी पूजा करते है। तुमको दूध से स्नान कराते है और लड्डुओं का प्रसाद चढ़ाते है।

लेकिन मेरी तो किस्मत ही ख़राब है मुझ पर लोग नारियल फोड़ कर जाते है। इस पर मूर्ति बने पत्थर ने कहा की जब शिल्पकार तुम पर कारीगरी कर रहा था यदि तुम उस समय उसको नहीं रोकते तो आज मेरी जगह तुम होते।

लेकिन तुमने आसान रास्ता चुना इसलिए अभी तुम दुःख उठा रहे हो। उस पत्थर को मूर्ति बने पत्थर की बात समझ आ गयी थी। उसने कहा की अब से मै भी कोई शिकायत नहीं करूँगा। इसके बाद लोग आकर उस पर नारियल फोड़ते।

नारियल टूटने से उस पर भी नारियल का पानी गिरता और अब लोग मूर्ति को प्रसाद का भोग लगाकर उस पत्थर पर रखने लगे।

Moral of the Story
सीख: हमें कभी भी कठिन परिस्थितियों से घबराना नहीं चाहिए।

Moral Stories in Hindi – खुनी झील

एक बार की बात है एक जंगल में एक झील थी। जो खुनी झील के नाम से प्रसिद्ध थी। शाम के बाद कोई भी उस झील में पानी पिने के लिए जाता तो वापस नहीं आता था। एक दिन चुन्नू हिरण उस जंगल में रहने के लिए आया।उसकी मुलाकात जंगल में जग्गू बन्दर से हुई। जग्गू बन्दर ने चुन्नू हिरण को जंगल के बारे में सब बताया लेकिन उस झील के बारे में बताना भूल गया। जग्गू बन्दर ने दूसरे दिन चुन्नू हिरण को जंगल के सभी जानवरों से मिलाया।

जंगल में चुन्नू हिरण का सबसे अच्छा दोस्त एक चीकू खरगोश बन गया। चुन्नू हिरण को जब ही प्यास लगती थी तो वह उस झील में पानी पिने जाता था। वह शाम को भी उसमें पानी पिने जाता था।

एक शाम को वह उस झील में पानी पिने गया तो उसने उसमें बड़ी तेज़ी से अपनी और आता हुआ एक मगरमच्छ देख लिया। जिसे देखकर वह बड़ी तेज़ी से जंगल की तरफ भागने लगा। रास्ते में उसको जग्गू बन्दर मिल गया।जग्गू ने चुन्नू हिरण से इतनी तेज़ भागने का कारण पूछा। चुन्नू हिरण ने उसको सारी बात बताई। जग्गू बन्दर ने कहा की मै तुमको बताना भूल गया था की वह एक खुनी झील है। जिसमे जो भी शाम के बाद जाता है वह वापिस नहीं आता।

लेकिन उस झील में मगरमच्छ क्या कर रहा है। उसे तो हमनें कभी नहीं देखा। इसका मतलब वह मगरमच्छ ही सभी जानवरों को खाता है जो भी शाम के बाद उस झील में पानी पिने जाता है।

अगले दिन जग्गू बन्दर जंगल के सभी जानवरों को ले जाकर उस झील में गया। मगरमच्छ सभी जानवरों को आता देखकर छुप गया। लेकिन मगरमच्छ की पीठ अभी भी पानी से ऊपर दिखाई दे रही थी।

सभी जानवरों ने कहा की यह पानी के बाहर जो चीज़ दिखाई दे रही है वह मगरमच्छ है। यह सुनकर मगरमच्छ कुछ नहीं बोला। चीकू खरगोश ने दिमाग लगाया और बोला नहीं यह तो पत्थर है। लेकिन हम तभी मानेंगे जब यह खुद बताएंगा।यह सुनकर मगरमच्छ बोला की मै एक पत्थर हूँ। इससे सभी जानवरों को पता लग गया की यह एक मगरमच्छ है। चीकू खरगोश ने मगरमच्छ को कहा की तुम इतना भी नहीं जानते की पत्थर बोला नहीं करते। इसके बाद सभी जानवरों ने मिलकर उस मगरमच्छ को उस झील से भगा दिया और खुशी खुशी रहने लगे।

Moral of the story
सीख: इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है की यदि हम किसी भी मुसीबत का सामना बिना घबराये मिलकर करते है तो उससे छुटकारा पा सकते है।

MORAL STORIES IN HINDI – बच्चों के लिए कहानियां – मेहनत का फल

एक गांव में दो मित्र नकुल और सोहन रहते थे। नकुल बहुत धार्मिक था और भगवान को बहुत मानता था। जबकि सोहन बहुत मेहनती थी। एक बार दोनों ने मिलकर एक बीघा जमीन खरीदी। जिससे वह बहुत फ़सल ऊगा कर अपना घर बनाना चाहते थे।

सोहन तो खेत में बहुत मेहनत करता लेकिन नकुल कुछ काम नहीं करता बल्कि मंदिर में जाकर भगवान से अच्छी फसल के लिए प्रार्थना करता था। इसी तरह समय बीतता गया। कुछ समय बाद खेत की फसल पक कर तैयार हो गयी।

जिसको दोनों ने बाजार ले जाकर बेच दिया और उनको अच्छा पैसा मिला। घर आकर सोहन ने नकुल को कहा की इस धन का ज्यादा हिस्सा मुझे मिलेगा क्योंकि मैंने खेत में ज्यादा मेहनत की है।

यह बात सुनकर नकुल बोला नहीं धन का तुमसे ज्यादा हिस्सा मुझे मिलना चाहिए क्योकि मैंने भगवान से इसकी प्रार्थना की तभी हमको अच्छी फ़सल हुई। भगवान के बिना कुछ संभव नहीं है। जब वह दोनों इस बात को आपस में नहीं सुलझा सके तो धन के बॅटवारे के लिए दोनों गांव के मुखिया के पास पहुंचे।

मुखिया ने दोनों की सारी बात सुनकर उन दोनों को एक – एक बोरा चावल का दिया जिसमें कंकड़ मिले हुए थे। मुखिया ने कहा की कल सुबह तक तुम दोनों को इसमें से चावल और कंकड़ अलग करके लाने है तब में निर्णय करूँगा की इस धन का ज्यादा हिस्सा किसको मिलना चाहिए।

दोनों चावल की बोरी लेकर अपने घर चले गए। सोहन ने रात भर जागकर चावल और कंकड़ को अलग किया। लेकिन नकुल चावल की बोरी को लेकर मंदिर में गया और भगवान से चावल में से कंकड़ अलग करने की प्रार्थना की।

अगले दिन सुबह सोहन जितने चावल और कंकड़ अलग कर सका उसको ले जाकर मुखिया के पास गया। जिसे देखकर मुखिया खुश हुआ। नकुल वैसी की वैसी बोरी को ले जाकर मुखिया के पास गया।

मुखिया ने नकुल को कहा की दिखाओ तुमने कितने चावल साफ़ किये है। नकुल ने कहा की मुझे भगवान पर पूरा भरोसा है की सारे चावल साफ़ हो गए होंगे। जब बोरी को खोला गया तो चावल और कंकड़ वैसे के वैसे ही थे।

जमींदार ने नकुल को कहा की भगवान भी तभी सहायता करते है जब तुम मेहनत करते हो। जमींदार ने धन का ज्यादा हिस्सा सोहन को दिया। इसके बाद नकुल भी सोहन की तरह खेत में मेहनत करने लगा और अबकी बार उनकी फ़सल पहले से भी अच्छी हुई।

सीख: इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है की हमें कभी भी भगवान के भरोसे नहीं बैठना चाहिए। हमें सफलता प्राप्त करने के लिए मेहनत करनी चाहिए।


शनिवार, 25 मार्च 2023

"हिंदी कहानियाँ ! हाथी और एक बकरी " 10 हिंदी कहानियाँ moral stories in hindi

एक जंगल में एक हाथी और एक बकरी रहते थे। दोनों बहुत पक्के दोस्त थे। दोनों साथ में मिलकर हर दिन खाने की तलाश करते और साथ में ही खाते थे। एक दिन दोनों खाने की तलाश में अपने जंगल से बहुत दूर निकल गए। वहां उन्हें एक तालाब दिखाई दिया। उसी तालाब के किनारे एक बेर का पेड़ था।

बेर का पेड़ देखकर हाथी और बकरी बहुत खुश हुए। वह दोनों बेर के पेड़ के पास गए, फिर हाथी ने अपनी सूंड से बेर के पेड़ को ज़ोर से हिलाया और ज़मीन पर ढेर सारे पके हुए बेर गिरने लगे। बकरी जल्दी-जल्दी गिरे हुए बेरों को इक्ठ्ठा करने लगी।

संयोगवश उसी बेर के पेड़ पर एक चिड़िया का घोंसला भी था, जिसमें चिड़िया का एक बच्चा सो रहा था और चिड़िया दाने की खोज में कहीं गई हुई थी। बेर का पेड़ ज़ोर से हिलाने के कारण चिड़िया का बच्चा घोंसले से बाहर तालाब में गिर पड़ा और डूबने लगा।

चिड़िया के बच्चे को डूबता हुआ देखकर, उसे बचाने के लिए बकरी तालाब में कूद गई, लेकिन बकरी को तैरना नहीं आता था। इस वजह से वह भी तालाब में डूबने लगी।

बकरी को डूबता हुआ देखकर हाथी भी तालाब में कूद गया और उसने चिड़िया के बच्चे और बकरी, दोनों को डूबने से बचा लिया।

इतने में चिड़िया भी वहां पर गई थी और वह अपने बच्चे को सही-सलामत देखकर बहुत खुश हुई। उसने हाथी और बकरी को इसी तालाब और बेर के पेड़ के पास रहने के लिए कहा। तब से हाथी और बकरी भी चिड़िया के साथ उस बेर के पेड़ के नीचे रहने लगे।

कुछ ही दिनों में चिड़िया का बच्चा बड़ा हो गया। चिड़िया अपने बच्चे के साथ जंगल में घूम कर आती थी और हाथी और बकरी को जंगल में किस पेड़ पर फल लगे हैं, इसकी जानकारी देती थी। इस तरह हाथी, बकरी, और चिड़िया मज़े में रहते और खाते-पीते थे।

कहानी से सीख

हमें किसी का बुरा नहीं करना चाहिए। अगर हमारी गलती से किसी को परेशानी होती है, तो उस गलती को सुधारना चाहिए और मन-मुटाव दूर करते हुए एक-दूसरे की मदद करनी चाहिए।

"हिंदी कहानियाँ ! बड़ा बनने के लिए बड़ा सोचो" 10 हिंदी कहानियाँ moral stories in hindi

अत्यंत गरीब परिवार का एक बेरोजगार युवक नौकरी की तलाश में किसी दूसरे शहर जाने के लिए रेलगाड़ी से सफ़र कर रहा था | घर में कभी-कभार ही सब्...